
भारत में परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के सम्बन्ध में उतनी रिसर्च
नहीं हुयी जितनी कि होनी चाहिये थी। ये पद्धतियाँ समय के साथ किये गये प्रयोगों और
अनुभवों के आधार पर विकसित हुयी हैं, इस कारण हर दवा के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध
नहीं है। कई बार मरीज़ों को इन पद्धतियों से आराम तो मिल जाता है लेकिन डॉक्टर्स और
साइंटिस्ट आयुर्वेदिक दवाओं के प्रभाव के कारणों के बारे में नहीं समझ पाते। पिछले
सौ सालों में डॉक्टरों और स्पेशलिस्टों ने आयुर्वेद में कम इन्टेरेस्ट दिखाया। इस कारण
से यह परंपरागत चिकित्सा पद्धति धीरे धीरे चलन से बाहर हो गयी थी। मगर पिछले कुछ सालों
में दुनियाँ भर के लोगों ने इनका इस्तेमाल करना शुरु किया है, और इन चिकित्सा पद्धतियों
का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है।
विदेशों में कई डॉक्टर आयुर्वेद में अपना इंटेरेस्ट दिखा रहे हैं।
अर्जेन्टीना के डॉ. सर्गिओ सूरेज़ एक ऐसे स्पेशलिस्ट हैं, जिन्होंने अपना कैरियर आयुर्वेद
चिकित्सा पद्धति के प्रचार-प्रसार और विकास में बनाया। डॉ. सर्गिओ का आयुर्वेद में
इन्टेरेस्ट तब जागा, जब वह 1980 में इंडिया घूमने आये थे। उस समय लैटिन अमेरिका में
आयुर्वेद को कोई नहीं जानता था। तीस साल के लम्बे संघर्ष में, डॉ. सर्गिओ ने आयुर्वेद
को लैटिन अमेरिका में चर्चा का विषय बनाया है। वह आज भी सुबह जागने के बाद योगा और
मेडीटेशन करते हैं। वे इंडियन फिलेसॉफ़ी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। सोलह साल तक डॉक्टरों
और वैज्ञानिकों के बीच आयुर्वेद, योगा और मेडिटॆशन के बारे में जानकारियाँ देने के
प्रयासों के साथ, डॉ. सर्गिओ अर्गेन्टीना के एक विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक मेडिसिन
का डिपार्टमेंट शुरु कराने में कामयाब रहे। इसकी सफ़लता को देखते हुये, यूनीवर्सिटी
ऑफ़ ब्यूनस आयर्स ने आयुर्वेद के कुछ कोर्स शुरु किये थे। इनके बाद कैथोलोक यूनीवर्सिटी
और कॉर्डोबा यूनीवर्सिटी ने भी आयुर्वेद पर कई कोर्सेज़ शुरु किये, जिनकी अर्जेन्टीना
के छात्रों में खासी लोकप्रियता है। डॉ. सर्गिओ ने अर्जेन्टीना में ही नहीं, बल्कि
लैटिन अमेरिका के कई देशों में डॉक्टरों को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की ट्रेनिंग दी।
ब्राज़ील की हेल्थ मिनिस्ट्री ने डॉ. सर्गिओ को अपने देश में 350 डॉक्टरों के एक ग्रुप
को आयुर्वेदिक चिकित्सा की ट्रेनिंग देने के लिये आमंत्रित किया था। डॉ. सर्गिओ ने
ब्राज़ील के कई शहरों में जाकर ब्राज़ीलियन पुलिस को डिप्रेशन और टेन्शन से बचने के लिये
योगा और मेडीटेशन की ट्रेनिंग दी। इन कार्यक्रमों से ब्राज़ील में भी आयुर्वेद चर्चित
हो गया। इसके बाद, लैटिन अमेरिका के एक टीवी चैनल ने आयुर्वेदिक चिकित्सा, योगा और
मेडिटेशन पर डॉ. सर्गिओ को लैक्चर देने के लिये आमंत्रित किया और इस तरह लैटिन अमेरिका
में भारतीय चिकित्सा पद्धतियाँ काफ़ी चर्चित हुयीं। डॉ. सर्गिओ चाहते हैं कि अर्जेन्टीना
और लैटिन अमेरिका में आयुर्वेद, योगा और मेडीटेशन को ऑफ़ीशियल और लीगल स्तर पर मान्यता
मिले, और इसके लिये वह लगातार प्रयासरत हैं।
अनुभवों और प्रयोगों के निष्कर्षों पर आधारित आयुर्वेद जैसी तमाम
परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के सम्बन्ध में हमें बहुत पहले ही गम्भीर रिसर्च शुरु
करना चाहिये थी और इनके बेहतर पहलुओं का प्रचार-प्रसार करना चाहिये था। आशा है नयी
जनरेशन यह अधूरा काम पूरा करेगी।
आयुर्वेद के औषधि निर्माण का मानकीकरण हो जाया तो क्या कहने!
ReplyDeletesahi kaha sir aapne... kash aisa ho pata...
ReplyDeleteहमारी भेंड चाल वाली जनता को आयुर्वेद के लाभ कभी समझ नहीं आयेंगे। Toxic दवाओं वाली अंग्रेजी पद्धति पर अधिक विश्वास करते हैं ये। स्वदेशी का सम्मान करना इनके खून में ही नहीं है।
ReplyDeleteहमारे पास जो वस्तु होती है उसकी कद्र हम नहि करते है, ऐसा अधिकास हम लोगो के साथ होता है, हमे तो हर काम जल्दी मे चाहिये, पद्धति पर चलकर लोग एलोपैथिक दवा का प्रयोग करते है, आयुर्वेद का नही, और जो एलोपैथिक दवा से थक जाता है वो आयुर्वेद की शरन मे जाता है।
ReplyDeleteSandeep Singh (Allahabad)
Thank you Ma'am and Sandeep ji, for appreciating the effort. We, the young people should take care of this and should aware people about this important issue.....
ReplyDelete